भावनगर, गुजरात – स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भावनगर के एक स्कूल में आयोजित नाटक ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इस नाटक में छात्राओं ने आतंकियों की भूमिका निभाई और उन्होंने बुर्का पहनकर कश्मीरी पंडितों पर हमला करने का दृश्य दिखाया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों की नाराजगी बढ़ गई है।
नाटक में क्या हुआ?
स्कूल में आयोजित इस नाटक में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर की घटना को दिखाया गया था। शुरुआत में छात्राएं सफेद सलवार-कुर्ता और नारंगी दुपट्टे में कश्मीर का एक शांतिपूर्ण गीत गा रही थीं। इसके बाद कुछ छात्राओं ने बुर्का पहनकर हथियार लेकर प्रवेश किया और नाच रही छात्राओं पर गोलियां चलाने का अभिनय किया।
इस वीडियो को देखकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। कई लोगों ने इसे सांप्रदायिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया, जबकि कुछ ने स्कूल प्रशासन पर छात्रों को गलत संदेश देने का आरोप लगाया।
स्कूल प्रशासन का बचाव
इस मामले पर स्कूल के प्रिंसिपल राजेंद्र डेव ने सफाई देते हुए कहा कि इस नाटक का उद्देश्य देशभक्ति की भावना जगाना था। उन्होंने बताया कि छात्राओं ने आतंकवादी, सैनिक और पीड़ितों की भूमिका निभाई थी।
प्रिंसिपल ने कहा, “हमारा इरादा किसी समुदाय को निशाना बनाना नहीं था। छात्राओं को आतंकियों की भूमिका में काले कपड़े पहनने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने बुर्का पहन लिया। हमारा मकसद सिर्फ इतना था कि बच्चों को देश की सुरक्षा के लिए सैनिकों के बलिदान के बारे में बताया जाए।”
हालांकि, उनकी यह सफाई सोशल मीडिया पर हो रही आलोचनाओं को शांत नहीं कर पाई है।
प्रशासन ने शुरू की जांच
इस पूरे मामले पर भावनगर नगर निगम की प्राइमरी एजुकेशन कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। कमेटी के अधिकारी मुंजल बालदानीय ने बताया कि वीडियो की जांच की जा रही है और स्कूल प्रबंधन को नोटिस भेजा जाएगा।
उन्होंने कहा, “चूंकि यह स्कूल नगर निगम द्वारा संचालित है, इसलिए प्राइमरी एजुकेशन कमेटी इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करेगी। जांच पूरी होने के बाद स्कूल प्रिंसिपल और शिक्षकों को शो कॉज नोटिस भेजा जाएगा।”
सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है?
वीडियो वायरल होने के बाद ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ यूजर्स ने लिखा कि “स्कूल में बच्चों को इस तरह की भूमिकाएं देना गलत है। इससे समाज में गलत संदेश जाता है।”
वहीं, कुछ लोगों ने स्कूल का बचाव करते हुए कहा कि “यह सिर्फ एक नाटक था, जिसका मकसद इतिहास की एक घटना को दिखाना था। इसे सांप्रदायिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।”
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. प्रीति शर्मा ने कहा कि “स्कूलों में ऐसे नाटकों को लेकर संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। बच्चों को इतिहास पढ़ाने का तरीका ऐसा होना चाहिए जिससे किसी समुदाय की भावनाएं आहत न हों।”
उन्होंने आगे कहा कि “शिक्षकों को चाहिए कि वे ऐसे मुद्दों पर पहले से चर्चा करें और बच्चों को सही संदेश दें।”
क्या हो सकती है आगे की कार्रवाई?
अगर जांच में स्कूल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप साबित होता है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल को निर्देश दिए जा सकते हैं कि भविष्य में इस तरह के कार्यक्रमों में अधिक सावधानी बरती जाए।
इस बीच, स्थानीय नेताओं और समाजसेवियों ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए शांति बनाए रखने की अपील की है।