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अब हरियाली बढ़ाने पर मिलेगा कार्बन क्रेडिट, पेड़ों की संख्या और छत्र घनत्व होंगे आधार

केंद्र सरकार का ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम, एजेंसियों और संस्थाओं को मिलेगा पर्यावरण संरक्षण का सीधा लाभ

Carbon credit for increasing greenery under Green Credit Program India

ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम के तहत कार्बन क्रेडिट की नई व्यवस्था

केंद्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और वनों के विस्तार को बढ़ावा देने के लिए ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम में अहम बदलाव किए हैं। अब हरियाली बढ़ाने वाली एजेंसियों और संस्थाओं को कार्बन क्रेडिट प्रदान किए जाएंगे। इसके लिए संबंधित संस्था को यह प्रमाणित करना होगा कि उसने क्षतिग्रस्त या बंजर पड़ी वन भूमि पर वृक्षारोपण कर वहां 40 प्रतिशत तक वृक्ष छत्र घनत्व हासिल किया है। इसी आधार पर उन्हें कार्बन क्रेडिट उपलब्ध कराया जाएगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है, जिसमें यह प्रावधान जोड़ा गया है कि आकलन के दौरान जीवित पेड़ों की संख्या और उनके चंदवा घनत्व को भी शामिल किया जाएगा। पांच वर्ष या उससे अधिक आयु के पेड़ों पर ही कार्बन क्रेडिट की गणना होगी। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि ग्रीन क्रेडिट का आदान-प्रदान सीमित रूप से ही संभव होगा और इसे अधिकतम तीन श्रेणियों तक ही ले जाया जा सकेगा। यह व्यवस्था गैर-व्यावसायिक और गैर-हस्तांतरणीय होगी, ताकि पर्यावरण के नाम पर होने वाले दुरुपयोग को रोका जा सके।

आवेदन प्रक्रिया और संस्थाओं की भागीदारी

नई व्यवस्था के अनुसार कोई भी सरकारी निकाय, सार्वजनिक उपक्रम, गैर सरकारी संगठन, निजी कंपनी, परोपकारी संस्था, सोसायटी या आम नागरिक इस कार्यक्रम से जुड़ सकता है। इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बनाए गए पोर्टल पर पंजीकरण कराना आवश्यक है। आवेदन के बाद निर्धारित शुल्क जमा करने पर प्रशासक के माध्यम से आकलन और सत्यापन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। सत्यापन के बाद पात्र दावेदार को कार्बन क्रेडिट प्रदान किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रावधान से अधिक से अधिक संस्थाएं वृक्षारोपण और हरियाली बढ़ाने के कार्यों में रुचि लेंगी। साथ ही, यह व्यवस्था उन एजेंसियों के लिए भी प्रेरणा बनेगी जो अब तक पर्यावरणीय योजनाओं से दूर रही हैं। ग्रीन क्रेडिट नियम 2003 के तहत तैयार की गई इस नई व्यवस्था का उद्देश्य संस्थागत स्तर पर वनों की कटाई को रोकना, क्षतिग्रस्त वन भूमि को पुनर्जीवित करना और आम लोगों को भी पर्यावरणीय गतिविधियों से जोड़ना है।

मिशन लाइफ और हरित लक्ष्य

सरकार का यह कदम ‘मिशन लाइफ’ कार्यक्रम से भी जुड़ा हुआ है, जिसे 2023 में शुरू किया गया था। इस मिशन का मकसद ऊर्जा की बचत, प्लास्टिक के प्रयोग में कमी, प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल को बढ़ावा और अधिकाधिक वृक्षारोपण कर हरित जीवनशैली को बढ़ावा देना है। इसके तहत पीपल समेत कई स्थानीय प्रजातियों के पेड़ लगाने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने लक्ष्य रखा है कि वर्ष 2028 तक देश के 80 प्रतिशत गांव और शहरी निकायों को हरित समुदाय में बदला जाए। इसका अर्थ है कि अगले कुछ वर्षों में लाखों पेड़ लगाए जाएंगे और हर नागरिक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम का हिस्सा बनेगा। विशेषज्ञों के अनुसार कार्बन क्रेडिट की नई व्यवस्था न केवल वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देगी बल्कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में भी अहम भूमिका निभाएगी। आने वाले समय में यह नीति ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर रोजगार के नए अवसर खोलेगी और साथ ही भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक मजबूत उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करेगी।

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