7 सितंबर 2025 की रात भारत समेत पूरी दुनिया एक दुर्लभ खगोलीय घटना का गवाह बनने जा रही है। इस दिन पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा और इसके दौरान चंद्रमा का रंग लाल हो जाएगा, जिसे आमतौर पर “ब्लड मून” कहा जाता है। खगोलविदों के अनुसार जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा बिल्कुल सीधी रेखा में आ जाते हैं तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस समय पृथ्वी का वातावरण सूर्य की नीली किरणों को रोक देता है और लाल किरणें मुड़कर चंद्रमा तक पहुंचती हैं। यही कारण है कि चंद्रमा का रंग गहरा लाल या तांबे जैसा दिखाई देने लगता है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह घटना पूरी तरह सुरक्षित है और इसे नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों के साथ-साथ छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों से भी लोग इस घटना को आसानी से देख सकेंगे। इस बार चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार रात 9:58 बजे शुरू होगा और लगभग रात 11 बजे अपने चरम पर पहुंचेगा। कुल मिलाकर यह घटना 3 घंटे 27 मिनट तक चलेगी और रात 1:25 बजे समाप्त होगी। खगोल विज्ञान की दुनिया में यह क्षण बेहद खास है क्योंकि लंबे समय बाद भारत से पूर्ण चंद्र ग्रहण को स्पष्ट रूप से देखने का अवसर मिल रहा है।
आम जनता और खगोल प्रेमियों के लिए खास इंतजाम
दिल्ली स्थित नेहरू तारामंडल और देशभर के कई वेधशालाओं ने इस खगोलीय घटना को देखने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। तारामंडल में विशेष स्क्रीन और दूरबीनें लगाई गई हैं ताकि अधिक से अधिक लोग इस अद्भुत दृश्य का आनंद उठा सकें। खास बात यह है कि प्रवेश पूरी तरह निःशुल्क रहेगा, जिससे खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोग बड़ी संख्या में वहां पहुंच सकें। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दृश्य किसी विशेष उपकरण के बिना भी आसानी से देखा जा सकता है, जबकि सूर्य ग्रहण के मामले में आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मे या फिल्टर का उपयोग जरूरी होता है। मौसम की बात करें तो राजधानी दिल्ली सहित कई शहरों में बादल छाए रहने की संभावना है, लेकिन यदि आसमान साफ रहा तो लोग चंद्रमा के लाल रूप को स्पष्ट देख पाएंगे। तारामंडल के अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं लोगों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा जगाती हैं और खासतौर पर बच्चों व युवाओं को खगोल विज्ञान के अध्ययन की ओर प्रेरित करती हैं। यही कारण है कि देशभर में इसे एक वैज्ञानिक उत्सव की तरह मनाया जा रहा है।
धार्मिक मान्यताओं और वैश्विक दृष्टिकोण से महत्व
चंद्र ग्रहण को लेकर विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं में अलग-अलग मान्यताएं रही हैं। भारतीय समाज में ग्रहण का संबंध धार्मिक आस्थाओं से भी जुड़ा है और लोग इसे शुभ-अशुभ से जोड़कर देखते हैं। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक सामान्य खगोलीय घटना है जिसका मानव जीवन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे डर या अंधविश्वास से नहीं बल्कि वैज्ञानिक जिज्ञासा और ज्ञानवर्धन के दृष्टिकोण से देखना चाहिए। यही कारण है कि खगोल संस्थान और तारामंडल लगातार लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर भी यह घटना खास महत्व रखती है क्योंकि यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूरोप के कई हिस्सों में भी नजर आएगी। खगोलविदों का कहना है कि ऐसे अवसर बार-बार नहीं आते और जब आते हैं तो दुनिया भर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता इसे अध्ययन का विशेष अवसर मानते हैं। ब्लड मून 2025 न केवल आसमान को रंगीन बनाएगा बल्कि विज्ञान और आस्था दोनों दृष्टियों से चर्चा का विषय भी बनेगा। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए लोगों में जबरदस्त उत्साह है और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक यादगार अनुभव साबित होगा।