विपक्षी रैली से दूरी और ममता पर सवाल
बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है और इसकी गूंज पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल तक सुनाई दे रही है। निर्वाचन आयोग ने संकेत दिया है कि जल्द ही पश्चिम बंगाल में भी यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसके बाद वहां की राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ गई है। इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी राष्ट्रीय राजनीति में विपक्षी एकता की बात करती हैं, लेकिन जब देशभर के विपक्षी दल एक मंच पर आते हैं, तो वे खुद को उससे अलग कर लेती हैं। चौधरी ने तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली में विपक्षी एकता के मंच पर संत का किरदार निभाने वाली टीएमसी, बंगाल में शैतान की भूमिका अदा कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि टीएमसी को जनता के दुख-दर्द से कोई मतलब नहीं है और उनका एकमात्र ध्यान सिर्फ वोट की राजनीति पर केंद्रित है। चौधरी के अनुसार राज्य की जनता महंगाई, बेरोजगारी और असुरक्षा जैसी समस्याओं से जूझ रही है, वहीं सरकार इन वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज कर केवल चुनावी लाभ के लिए रणनीतियां बना रही है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि राज्य से बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है और लोग बेहतर जीवन की तलाश में दूसरे राज्यों या देशों की ओर रुख कर रहे हैं।
प्रवासी मजदूरों की हालत और सरकार पर आरोप
अधीर रंजन चौधरी ने विशेष रूप से बंगाल के प्रवासी मजदूरों की स्थिति को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हजारों मजदूर रोजी-रोटी के लिए न केवल देश के अन्य हिस्सों बल्कि पश्चिम एशिया और खाड़ी देशों तक पलायन कर चुके हैं। इन श्रमिकों का योगदान बंगाल की अर्थव्यवस्था के लिए अहम है, क्योंकि उनकी मेहनत से भेजी गई कमाई से कई परिवार और कारोबार चल रहे हैं। चौधरी ने बताया कि उन्होंने सांसद रहते हुए कई बार विदेशों में फंसे प्रवासी मजदूरों की मदद की है, लेकिन राज्य सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है। उनका आरोप है कि प्रवासी मजदूरों को अक्सर पुलिस उत्पीड़न और प्रशासनिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है, यहां तक कि उन्हें हिरासत में भी लिया जाता है। चौधरी ने कहा कि टीएमसी नेतृत्व इन समस्याओं का समाधान निकालने के बजाय इसे राजनीतिक हथियार बनाकर चुनाव तक जिंदा रखने की कोशिश कर रहा है। उनके अनुसार यह रणनीति लोगों के बीच डर पैदा करने और अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए है।
कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था और राजनीतिक समीकरण
कांग्रेस नेता ने बंगाल की आर्थिक स्थिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था कर्ज के बोझ तले दब चुकी है और रोजगार के अवसर लगातार घटते जा रहे हैं। चौधरी का मानना है कि सरकार विकास की असली दिशा से भटक गई है और उसकी प्राथमिकताएं केवल सत्ता बनाए रखने तक सीमित हो गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि यही हालात जारी रहे तो आने वाले विधानसभा चुनावों में जनता टीएमसी को इसका करारा जवाब देगी। चौधरी ने विपक्षी एकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि यह समय केवल राजनीतिक बयानबाजी का नहीं, बल्कि वास्तविक समस्याओं से निपटने का है। उन्होंने दावा किया कि ममता बनर्जी का प्रशासन प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, युवाओं को रोजगार देने और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में पूरी तरह नाकाम रहा है। चौधरी ने दो टूक कहा कि बंगाल की जनता अब बदलाव चाहती है और 2026 के विधानसभा चुनाव इस दिशा में निर्णायक साबित होंगे।