कैसे हुआ खुलासा और क्या हैं आरोप
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के एक वरिष्ठ प्रबंधक को 232 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की पहचान राहुल विजय के रूप में हुई है, जो वर्तमान में जयपुर एयरपोर्ट पर वित्त और लेखा शाखा का प्रभारी था। शिकायत के मुताबिक, देहरादून एयरपोर्ट पर 2019 से 2023 के बीच तैनाती के दौरान उसने इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और आधिकारिक दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर भारी भरकम रकम निजी खातों में ट्रांसफर कर ली। जांच में सामने आया कि आरोपी ने एएआई के बैंक खाते को चलाने के लिए मिली अधिकृत जिम्मेदारी का दुरुपयोग किया। पहले उसने छोटी रकम ट्रांसफर करनी शुरू की और धीरे-धीरे करोड़ों रुपये अपने व्यक्तिगत बैंक और ट्रेडिंग खातों में डाल दिए। एएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी चंद्रकांत पी ने इस गड़बड़ी की शिकायत की थी।
सीबीआई की जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
सीबीआई ने जयपुर स्थित आरोपी के दफ्तर और घर पर छापेमारी की, जहां से जमीन-जायदाद से जुड़े दस्तावेज, कीमती सिक्योरिटीज और कई अहम सबूत जब्त किए गए। शुरुआती बैंक लेन-देन की जांच में पता चला कि आरोपी ने 232 करोड़ रुपये की रकम पहले अपने खाते में डाली और फिर उसे अलग-अलग ट्रेडिंग खातों में ट्रांसफर कर सार्वजनिक धन को निजी लाभ में बदल लिया। सीबीआई प्रवक्ता के अनुसार, आरोपी ने रिकॉर्ड में “शून्य (0)” जोड़कर नकली एसेट्स बनाए और कुछ वास्तविक एसेट्स की कीमत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई। उदाहरण के तौर पर, उसने सितंबर 2021 में नए टर्मिनल बिल्डिंग के लिए असली 13 संपत्तियों को दर्ज किया, जिनकी कीमत करीब 13.58 करोड़ रुपये थी, लेकिन इसके बाद उन्हीं आंकड़ों में बदलाव करके 17 फर्जी संपत्तियां दिखाईं, जिनकी कीमत 189 करोड़ रुपये दर्ज की गई और पूरी रकम उसके निजी खाते में चली गई। यही नहीं, उसने कई मौकों पर फर्जी खर्च दिखाकर करीब 43 करोड़ रुपये भी अपने पास पहुंचा लिए।
कब और कैसे सामने आई गड़बड़ी
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब एएआई के सक्षम प्राधिकरण ने देहरादून एयरपोर्ट के 2019-20 से 2022-23 तक के एसेट रिकॉर्ड की जांच शुरू की। जांच के दौरान एसेट्स में असामान्य पूंजीकरण दिखाई दिया, जिसके बाद एक विशेष समिति गठित की गई। इस समिति ने जब गहराई से वित्तीय लेन-देन और दस्तावेजों की जांच की तो कई फर्जी एंट्री सामने आईं। जांच में पाया गया कि आरोपी ने एएआई के एसबीआई बैंक खाते के लिए तीन अलग-अलग यूजर आईडी बनाकर उन्हें धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किया। उसने ठेकेदारों को भुगतान दिखाकर रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर ली और कई मौकों पर रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर एएआई की संपत्तियों को काल्पनिक रूप से बढ़ाकर दर्शाया। सीबीआई ने बताया कि इस पूरे मामले में अब तक जो रकम सामने आई है, वह लगभग 232 करोड़ रुपये है, हालांकि आगे की जांच में यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। फिलहाल आरोपी को गिरफ्तार कर पूछताछ जारी है और एजेंसी अन्य लोगों की संभावित संलिप्तता की भी जांच कर रही है।