मोतियाबिंद ऑपरेशन को लेकर फैली बड़ी भ्रांति : भारत में आंखों की बीमारियों में मोतियाबिंद (Cataract) एक आम समस्या है। लेकिन इसके इलाज को लेकर कई तरह की भ्रांतियां और मिथ समाज में गहराई तक फैले हुए हैं। सबसे बड़ा मिथ यह है कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन केवल सर्दियों में ही सुरक्षित होता है, जबकि गर्मियों में करवाने से रोशनी अच्छे से नहीं आती। इस सोच की वजह से कई मरीज महीनों तक दर्द और धुंधली नजर झेलते रहते हैं और ऑपरेशन को टालते रहते हैं।
पुराने जमाने की सर्जरी तकनीक और भ्रांति की शुरुआत
जब आईसीसीई (ICCE) और ईसीसीई (ECCE) जैसी पुरानी तकनीकों से मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जाता था। इन विधियों में आंख पर बड़ा चीरा लगाया जाता था और पूरा लेंस बैग समेत निकाल दिया जाता था। उस समय अधिकतर मामलों में लेंस प्रत्यारोपित (Implant) भी नहीं किया जाता था।
बाद में जब लेंस लगाना शुरू हुआ तब भी ऑपरेशन की जटिलताएं बनी रहीं। बड़े चीरे की वजह से घाव भरने में समय लगता था और मरीज को कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती थीं। उदाहरण के लिए – ऑपरेशन के बाद पूरे महीने तक सिर पर पानी नहीं डालना, एक ही करवट लेटकर रहना।
उस समय ऑपरेशन के बाद का रिकवरी पीरियड लंबा और तकलीफदेह होता था। यही कारण है कि लोगों को लगता था कि सर्दियों का मौसम ज्यादा सुरक्षित है, क्योंकि गर्मी में घाव भरने में दिक्कत हो सकती है।
आधुनिक तकनीक ने बदल दी सर्जरी की तस्वीर
आज स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। अब फेको (Phaco) तकनीक और एमआईसीएस (MICS – Micro Incision Cataract Surgery) जैसी एडवांस विधियां उपलब्ध हैं। इन तरीकों में पेन की नोक जितना छोटा छेद बनाकर सर्जरी की जाती है।
इस नई तकनीक से न केवल ऑपरेशन सुरक्षित हुआ है बल्कि मरीज को कम सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। अब 6-7 दिन बाद ही सिर धोने और नहाने की अनुमति मिल जाती है।
मिथ तोड़ने का समय: हर मौसम में सुरक्षित है ऑपरेशन
आज भी गांवों और छोटे शहरों में यह भ्रांति फैली हुई है कि गर्मियों में मोतियाबिंद का ऑपरेशन नहीं कराना चाहिए। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि मौसम का ऑपरेशन की सफलता से कोई संबंध नहीं है।
सोचिए, जब हार्ट सर्जरी, ऑर्थोपेडिक सर्जरी और पेट की बड़ी-बड़ी सर्जरी गर्मियों में आराम से हो सकती हैं, तो आंख का छोटा सा ऑपरेशन क्यों नहीं?
देर करना खतरनाक हो सकता है
मरीज अक्सर छह से आठ महीने तक सिर्फ इस वजह से इंतजार करते हैं कि “सर्दियां आएंगी तो ऑपरेशन कराएंगे।” लेकिन इस दौरान बीमारी बढ़ती जाती है। कई बार मोतियाबिंद सख्त (Hard Cataract) हो जाता है, जिससे सर्जरी करना और भी जटिल हो जाता है।
इसलिए यह समझना जरूरी है कि –
- मोतियाबिंद का इलाज जितनी जल्दी हो, उतना अच्छा है।
- ऑपरेशन टालने से दृष्टि और खराब हो सकती है।
- सर्जरी हर मौसम में एक जैसी सुरक्षित है।
डॉक्टर की अपील
डॉ. वाई सिंह जैसे विशेषज्ञों का साफ कहना है –
इस भ्रम से बाहर निकलें। मोतियाबिंद का ऑपरेशन हर मौसम में बराबर सुरक्षित है। जब तकलीफ हो, तुरंत ऑपरेशन करा लें। बीमारी को न पालें और अपनी आंखों की रोशनी बचाएं।