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ब्रिटेन की रॉयल नेवी को मिला पहला हिंदू पादरी: भारतवंशी भानु अत्री ने रचा नया इतिहास

हिमाचल में जन्मे और भारत में पले-बढ़े भानु अत्री अब ब्रिटिश नौसेना में देंगे आध्यात्मिक मार्गदर्शन

नई दिल्ली: इतिहास तब बनता है जब परंपराओं की दीवारें टूटकर नए रास्ते खुलते हैं। ऐसा ही एक क्षण तब आया जब भारतवंशी भानु प्रकाश अत्री ब्रिटेन की रॉयल नेवी में पहले हिंदू और गैर-ईसाई पादरी के रूप में शामिल हुए। यह न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि बहुसांस्कृतिक समाज और समावेशिता की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।

हिमाचल से ब्रिटेन तक की यात्रा

भानु प्रकाश अत्री का जन्म हिमाचल प्रदेश में हुआ और वहीं उनका बचपन बीता। धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल में पले-बढ़े अत्री ने कम उम्र से ही हिंदू शास्त्रों और संस्कृति की गहरी समझ विकसित की। आगे चलकर उन्होंने धार्मिक शिक्षा में महारत हासिल की और लंदन में एक हिंदू मंदिर के संचालन में भी योगदान दिया।

उनकी यह पृष्ठभूमि न केवल उन्हें एक विद्वान पंडित बनाती है, बल्कि धार्मिक विविधता को समझने वाला व्यक्तित्व भी। यही कारण है कि ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने उन्हें रॉयल नेवी के पहले हिंदू पादरी के रूप में चुना।

रॉयल नेवी में प्रशिक्षण

रॉयल नेवी के अधिकतर कैडेट्स को जहां 29 हफ्तों का प्रशिक्षण दिया जाता है, वहीं भानु अत्री ने विशेष 13 हफ्तों का प्रशिक्षण पूरा किया। इसमें शामिल थे –

  • 6 हफ्ते ऑफिसर ट्रेनिंग
  • 4 हफ्ते समुद्र पर व्यावहारिक अनुभव
  • 3 हफ्ते सैन्य पादरी की भूमिका की तैयारी

उन्होंने ब्रिटानिया रॉयल नेवल कॉलेज, डार्टमाउथ से आधिकारिक प्रशिक्षण प्राप्त कर स्नातक किया। इस दौरान कुल 150 नए अधिकारियों ने प्रशिक्षण लिया, जिनमें मात्र दो पादरी शामिल थे।

HMS Drake पर नियुक्ति

प्रशिक्षण के बाद भानु अत्री को एचएमएस ड्रेक, जो डेवनपोर्ट नौसेना बेस पर स्थित है, वहां पादरी के रूप में नियुक्त किया गया। यहां वे नौसेना में सेवारत हजारों कर्मियों को न केवल धार्मिक मार्गदर्शन देंगे, बल्कि मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक सहयोग भी प्रदान करेंगे।

उनकी भूमिका केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि वे सैनिकों के कल्याण, मानसिक मजबूती और सामुदायिक सद्भाव को भी बढ़ावा देंगे।

“मेरे लिए गर्व का क्षण” – भानु अत्री

अपनी इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए भानु अत्री ने कहा –
“ब्रिटानिया रॉयल नेवल कॉलेज से स्नातक होकर बेड़े का पहला हिंदू पादरी बनना मेरे लिए गर्व की बात है। यह केवल मेरा नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समुदाय का सम्मान है। यह विविधता और समावेशिता की दिशा में एक मजबूत कदम है। मेरे परिवार को मुझ पर गर्व है और मैं रॉयल नेवी में अपनी सेवा के जरिए हिंदू समुदाय का सार्थक प्रतिनिधित्व करूंगा।”

रक्षा मंत्रालय का दृष्टिकोण

ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2023 में पहली बार हिंदू पादरी का पद सृजित किया था। मंत्रालय के हिंदू सलाहकार अनिल भनोट ने कहा,
“हमने पंडित भानु अत्री को इस पद के लिए सबसे उपयुक्त पाया। उनके पास भारत से संस्कृत शास्त्रों में स्नातकोत्तर डिग्री के समकक्ष योग्यता है। उनका अनुभव और आध्यात्मिक समझ उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए सक्षम बनाती है।”

भनोट ने यह भी जोड़ा कि उनका लक्ष्य अधिक से अधिक ब्रिटिश हिंदू युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने कहा –
“हमारी आध्यात्मिक भूमि भारत है, लेकिन हमारी कर्मभूमि ब्रिटेन है। रक्षा मंत्रालय हमारे लिए सुरक्षा का कवच है और भानु अत्री जैसे व्यक्तित्व इस संबंध को और मजबूत करेंगे।”

धार्मिक विविधता की मिसाल

रॉयल नेवी में अब तक ज्यादातर पादरी ईसाई समुदाय से ही आते रहे हैं। भानु अत्री की नियुक्ति इस धारणा को तोड़ती है और यह संदेश देती है कि आधुनिक सेना केवल परंपराओं तक सीमित नहीं, बल्कि सभी धर्मों और संस्कृतियों को समान महत्व देती है।

यह कदम न केवल हिंदू समुदाय को, बल्कि अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को भी यह भरोसा दिलाता है कि ब्रिटिश सेना में उनके लिए भी स्थान और अवसर है।

भारतीय जड़ों से जुड़ाव

भानु अत्री का भारत से गहरा जुड़ाव है। उन्होंने बचपन में भारतीय संस्कृति और परंपराओं को आत्मसात किया और आज भी वे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते रहते हैं। उनका कहना है कि वे अपनी भारतीय जड़ों से प्रेरणा लेते हैं और ब्रिटेन की नौसेना में सेवा देकर दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु का कार्य करेंगे।

वैश्विक महत्व

भानु अत्री की नियुक्ति का महत्व केवल ब्रिटेन तक सीमित नहीं है। यह एक वैश्विक संदेश है कि किसी भी सेना की मजबूती केवल हथियारों में नहीं, बल्कि विविधता और एकजुटता में भी होती है। आज जब दुनिया भर में विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोग साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ऐसे में यह नियुक्ति एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है।

भानु अत्री की यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारतीय और हिंदू समुदाय के लिए गर्व का क्षण है। रॉयल नेवी में उनकी भूमिका आने वाले समय में धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को और अधिक मजबूत करेगी।

यह नियुक्ति इस बात का सबूत है कि चाहे कोई भी पृष्ठभूमि या धर्म हो, योग्य और समर्पित व्यक्ति के लिए अवसर हमेशा मौजूद रहते हैं। भानु अत्री ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय जड़ों से जुड़े लोग भी वैश्विक मंच पर नई मिसाल कायम कर सकते हैं।