मध्य पूर्व में एक बार फिर हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। इजरायल ने गाजा पर अपना सबसे बड़ा सैन्य अभियान ‘मिशन गाजा’ शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई। इस ऑपरेशन के तहत गाजा शहर पर पूर्ण कब्जे की योजना बनाई गई है। इसके लिए 60,000 रिजर्व सैनिकों को ड्यूटी पर बुलाने का आदेश जारी किया गया है।
गाजा पर नियंत्रण की रणनीति
इजरायली सेना (IDF) के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने जानकारी दी कि सेना ने गाजा शहर के बाहरी हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया है। उन्होंने कहा कि हमास अब “कमजोर और घायल गुरिल्ला बल” बनकर रह गया है और इजरायल की रणनीति गाजा शहर को पूरी तरह अपने कब्जे में लेने की है।
डेफ्रिन ने यह भी कहा कि गाजा शहर हमास का राजनीतिक और सैन्य गढ़ है, जहां से वह पूरे इलाके को संचालित करता है। सेना का दावा है कि आने वाले दिनों में हमले और तेज किए जाएंगे ताकि हमास की बची-खुची ताकत भी खत्म की जा सके।
नेतन्याहू का सख्त रुख
प्रधानमंत्री नेतन्याहू के कार्यालय ने बुधवार को घोषणा की कि उन्होंने हमास को खत्म करने और उसके गढ़ों पर कब्जा करने की समयसीमा बढ़ा दी है। इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि सितंबर तक कुछ रिजर्व सैनिकों को युद्धविराम वार्ता के लिए समय दिया जाएगा। लेकिन इजरायली सैनिकों और हमास लड़ाकों के बीच झड़प के बाद नेतन्याहू ने अपना रुख और कठोर कर लिया।
हमास का पलटवार
गाजा में हमास की अल-कस्साम ब्रिगेड ने इजरायली सेना पर हमले की पुष्टि की है। खान यूनिस इलाके में हमास के लड़ाके सुरंगों से बाहर आए और इजरायली टैंकों पर टैंक-रोधी मिसाइलों और गोलीबारी से हमला किया। इस हमले में एक इजरायली सैनिक गंभीर रूप से घायल हुआ और दो अन्य को मामूली चोटें आईं। रिपोर्टों के अनुसार, हमले में शामिल एक हमास लड़ाके ने खुद को सैनिकों के बीच विस्फोट से उड़ा लिया।
गाजा में मानवीय संकट
गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि अब तक इजरायल की कार्रवाई में 62,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय लगातार मानवीय सहायता और युद्धविराम की अपील कर रहा है।
दूसरी ओर, इजरायल का दावा है कि 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के हमले में 1,200 इजरायली नागरिक मारे गए थे और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया था। यही घटना मौजूदा युद्ध का कारण बनी।
युद्धविराम की कोशिशें
अमेरिका, मिस्र और कतर लगातार मध्यस्थता कर रहे हैं ताकि युद्ध को रोका जा सके। हमास ने 60 दिन के युद्धविराम प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। इस समझौते में तीन प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
- चरणबद्ध तरीके से इजरायली बंधकों की रिहाई
- कुछ फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई
- गाजा में मानवीय सहायता की अनुमति
लेकिन इजरायल ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। नेतन्याहू पर उनकी गठबंधन सरकार के दक्षिणपंथी सदस्यों का दबाव है कि वे युद्धविराम की किसी भी संभावना को खारिज करें।
कब्जे की दिशा में बड़ा कदम
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया है कि इजरायल अब गाजा पट्टी के लगभग 75% हिस्से पर नियंत्रण हासिल कर चुका है। अगला लक्ष्य गाजा शहर को पूरी तरह कब्जे में लेना है। यह वही जगह है जहां युद्ध के शुरुआती महीनों में इजरायली सेना और हमास के बीच भीषण शहरी युद्ध हुआ था।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इजरायल के कई सहयोगी देशों ने नेतन्याहू से इस अभियान पर पुनर्विचार करने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी है कि गाजा पर पूर्ण कब्जा मानवीय संकट को और गहरा देगा। वहीं, इजरायल के वित्त मंत्री बेजालेल स्मोट्रिच ने वेस्ट बैंक में नई बस्तियों की मंजूरी देकर विवाद और बढ़ा दिया है। उन्होंने बयान दिया कि यह कदम फिलिस्तीनी राज्य की संभावना को खत्म कर देगा।
इजरायल और हमास के बीच यह संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। एक ओर इजरायल की सेना 60,000 रिजर्व सैनिकों के साथ गाजा शहर पर पूर्ण कब्जे की योजना पर काम कर रही है, वहीं हमास गुरिल्ला रणनीति के जरिए जवाब दे रहा है।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि युद्धविराम की कोशिशें सफल होंगी या नहीं। लेकिन इतना तय है कि इस लड़ाई का सबसे बड़ा खामियाजा आम फिलिस्तीनी जनता और निर्दोष नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।