फिल्म की कहानी और प्रस्तुति
रविंद्र गौतम निर्देशित फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित है। यह फिल्म शांतनु गुप्ता की किताब ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ से प्रेरित है और इसे 19 सितंबर को देशभर में रिलीज किया गया। फिल्म की कहानी 1983 की एक दर्दनाक घटना से शुरू होती है, जिसमें पूर्वांचल में माफियाओं के वर्चस्व को दिखाया गया है। फिल्म की पटकथा को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है – योगी आदित्यनाथ का बचपन और कॉलेज जीवन, घर छोड़कर गोरखपुर मठ में महंत अवैद्यनाथ के शिष्य और उत्तराधिकारी बनना, और अंत में राजनीति में प्रवेश करके जनता के मुद्दों के लिए संघर्ष करना और मुख्यमंत्री की शपथ तक पहुंचना। कहानी में दिखाया गया है कि कैसे बचपन से ही अजय (योगी आदित्यनाथ का बचपन का नाम) अनुशासनप्रिय माहौल में पले-बढ़े और कैसे अन्याय के खिलाफ उनका गुस्सा उन्हें लगातार आगे बढ़ाता गया। फिल्म में जापानी इंसेफेलाटिस से बच्चों की मौत, गोरखपुर और आसपास के माफिया राज, जनसमस्याओं पर आंदोलन, जेल जाने और संसद में भावुक होने जैसे कई महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को शामिल किया गया है।
दमदार डायलॉग्स और भावुक दृश्य
फिल्म में कई ऐसे डायलॉग हैं जिन्होंने दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा। “माफिया को मिट्टी में मिला दूंगा”, “बाबा आते नहीं प्रकट होते हैं” जैसे संवाद थिएटर में तालियां बजवाने पर मजबूर कर देते हैं। एक सीन में जब प्रशासन उन्हें रैली में जाने से रोकने की कोशिश करता है, तब वे नाव से पहुंचकर प्रशासन को चौंकाते हैं। कॉलेज वाला सीन, जहां अजय दीवार पर वेल्डिंग कराते हैं और कहते हैं कि अगर उनके पास 200 रुपये होते तो बुलडोजर चलवा देते, दर्शकों को उनके बुलडोजर बाबा वाली छवि की याद दिलाता है। भावनात्मक दृश्यों में मां का अपने बेटे को योगी के रूप में देखकर रोना और गुरु अवैद्यनाथ का संवाद – “अगर कौशल्या ने राम को वनवास न जाने दिया होता तो वे भगवान नहीं बन पाते” – दर्शकों की आंखें नम कर देता है। फिल्म में पत्रकार बने दिनेश लाल यादव निरहुआ और पवन मल्होत्रा की उपस्थिति ने कहानी को वास्तविकता का स्पर्श दिया है। अनंत जोशी ने योगी आदित्यनाथ का किरदार निभाने में काफी मेहनत की है और उनके हावभाव से लेकर बोलने के अंदाज तक में योगी से मेल बैठाने की कोशिश की है।
कमजोरियों और बॉक्स ऑफिस प्रतिक्रिया
हालांकि फिल्म में दमदार डायलॉग और भावुक पल हैं, लेकिन कहानी की कसावट कमजोर साबित हुई। फिल्म में राजनीति से जुड़े घटनाक्रमों को अपेक्षाकृत कम जगह दी गई, जिसके कारण दर्शकों को अधूरापन महसूस हुआ। कई सिनेमाघरों में पहले दिन दर्शकों की संख्या काफी कम रही, हालांकि योगी आदित्यनाथ के समर्थकों वाले जिलों में हॉल भरे रहे। फिल्म का संगीत औसत है, लेकिन “देखो बाबा बैठ गया” जैसे गाने ने दर्शकों को जोड़ा। आलोचकों का मानना है कि फिल्म का समापन जल्दी किया गया और मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को और विस्तार से दिखाया जा सकता था। मेकर्स का दावा है कि अगर यह फिल्म सफल होती है तो इसके आगे के हिस्से भी बनाए जाएंगे, जिसमें मुख्यमंत्री बनने के बाद की उनकी नीतियों और बुलडोजर कार्रवाई पर फोकस किया जाएगा। फिलहाल, ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ उन दर्शकों को ज्यादा पसंद आएगी जो योगी आदित्यनाथ के जीवन के अनदेखे पहलुओं को जानना चाहते हैं, लेकिन आम दर्शकों के लिए यह फिल्म अपनी कमजोर पटकथा के कारण औसत अनुभव देती है।