भारतीय शेयर बाजार गुरुवार, 21 अगस्त 2025 को ग्लोबल संकेतों के बीच एक बार फिर निवेशकों की कसौटी पर खड़ा है। एशियाई बाजारों से मिले-जुले रुख और अमेरिकी बाजार की कमजोरी ने सेंसेक्स और निफ्टी की शुरुआती चाल पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक तरफ जापान के प्रमुख इंडेक्स निक्केई और टॉपिक्स दबाव में हैं, वहीं दक्षिण कोरिया के कोस्पी और कोस्डैक में मजबूती देखने को मिली है। इन उतार-चढ़ावों के बीच भारतीय बाजार की दिशा पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
बुधवार को बाजार की मजबूती
पिछले कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार ने शानदार प्रदर्शन किया। निफ्टी 50 ने पहली बार 25,000 के ऊपर क्लोजिंग दी, जबकि सेंसेक्स ने 213 अंक की बढ़त के साथ 81,857 के स्तर को पार किया। लगातार पांचवें दिन की बढ़त ने निवेशकों का भरोसा और मजबूत किया है। निफ्टी 50 लगभग 70 अंकों की तेजी के साथ 25,050 पर बंद हुआ, जिससे यह संकेत मिला कि घरेलू बाजार में निवेशकों का उत्साह कायम है।
आज के ग्लोबल संकेत
गुरुवार की सुबह एशियाई बाजारों से मिले-जुले संकेत सामने आए हैं। जापान के निक्केई और टॉपिक्स गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं, जबकि दक्षिण कोरिया के बाजार मजबूती दिखा रहे हैं। गिफ्ट निफ्टी 25,085 के आसपास ट्रेड कर रहा है, जो भारतीय बाजार में सपाट शुरुआत की ओर इशारा करता है।
वॉल स्ट्रीट का असर
अमेरिकी बाजारों की बात करें तो बुधवार का दिन टेक्नोलॉजी शेयरों के लिए भारी पड़ा। डॉऊ जोन्स मामूली बढ़त के साथ 44,938 पर बंद हुआ, लेकिन एसएंडपी 500 और नैस्डैक कंपोजिट में गिरावट देखने को मिली। खासकर नैस्डैक में 142 अंकों की कमजोरी आई। दिग्गज कंपनियों जैसे ऐपल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन के शेयरों पर बिकवाली का दबाव दिखा। इसका असर एशियाई और भारतीय बाजारों की धारणा पर भी पड़ा है।
फेड और आरबीआई का दृष्टिकोण
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की जुलाई बैठक के मिनट्स से पता चलता है कि अधिकारी मुद्रास्फीति के खतरों को अब भी गंभीर मान रहे हैं। वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने वैश्विक व्यापार तनाव और टैरिफ पर चिंता जताई है। हालांकि, समिति का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत है और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण की संभावना बनी हुई है।
आर्थिक आंकड़ों की तस्वीर
जुलाई महीने में बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की वृद्धि दर केवल 2% रही, जो पिछले साल इसी अवधि में 6.3% थी। यह गिरावट इस बात का संकेत है कि घरेलू आर्थिक गति में थोड़ी सुस्ती आई है। दूसरी ओर, जापान का विनिर्माण क्षेत्र लगातार दूसरे महीने सिकुड़न के दौर में है। यह एशियाई बाजारों के लिए चिंताजनक संकेत है।
कमोडिटी बाजार की स्थिति
सोने की कीमतें इस समय स्थिर बनी हुई हैं। निवेशक फेड की भविष्य की नीतियों को लेकर और स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त देखने को मिली है। अमेरिका में तेल और ईंधन के भंडार में अनुमान से अधिक गिरावट ने कीमतों को सहारा दिया है। यह बढ़ोतरी भारतीय बाजार पर भी असर डाल सकती है।
मुद्रा बाजार में हलचल
अमेरिकी डॉलर कमजोर हुआ है, खासकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा फेड गवर्नर लिसा कुक से इस्तीफे की मांग के बाद। इसके चलते जापानी येन डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ। डॉलर की कमजोरी का असर उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर सकारात्मक हो सकता है, जिससे भारतीय रुपये को भी सहारा मिल सकता है।
निवेशकों की रणनीति
इस समय निवेशकों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सेंसेक्स 82,000 का आंकड़ा पार करेगा या फिर ग्लोबल संकेत इसकी रफ्तार को थाम लेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के बावजूद भारतीय बाजार की लंबी अवधि की संभावनाएं मजबूत हैं। घरेलू निवेशकों का भरोसा और विदेशी निवेशकों की लगातार भागीदारी बाजार को सहारा देती रही है।
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार आज मिश्रित वैश्विक संकेतों के बीच अपनी दिशा तय करेगा। जहां एशियाई और अमेरिकी बाजार दबाव में हैं, वहीं घरेलू आर्थिक स्थिति और निवेशकों का भरोसा मजबूती की तरफ इशारा करता है। ऐसे में निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहते हुए अपनी रणनीति तय करनी चाहिए। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए बाजार अभी भी आकर्षक बना हुआ है, लेकिन अल्पकालिक उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।