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भारत में ऑनलाइन गेमिंग: 45 करोड़ यूजर्स ने उड़ाए ₹20,000 करोड़, यूपी सबसे आगे

कौशल वाले खेलों के नाम पर जुआ, सरकार लाएगी नया कानून

भारत में ऑनलाइन गेमिंग से 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान, यूपी बना सबसे बड़ा हब

भारत में ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी अब सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं रहा, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक समस्या बन चुका है। सरकार के ताजा अनुमान के अनुसार, देश में हर साल करीब 45 करोड़ लोग ऑनलाइन पैसे वाले गेम्स में ₹20,000 करोड़ गंवा रहे हैं। इनमें से सबसे बड़ा योगदान उत्तर प्रदेश का है, जो ऑनलाइन गेमिंग का नया हब बनकर उभरा है।

छोटे शहरों से आ रहा सबसे बड़ा ट्रैफिक

रिपोर्ट बताती है कि ऑनलाइन गेमिंग सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं है। छोटे शहरों और कस्बों में मोबाइल के जरिए गेमिंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। यहां के लोग मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों के गेमर्स को भी पीछे छोड़ चुके हैं।

किन राज्यों में सबसे ज्यादा गेमिंग

  • उत्तर प्रदेश – सबसे आगे
  • महाराष्ट्र
  • राजस्थान
  • बिहार
  • पश्चिम बंगाल

वहीं, ओडिशा, पंजाब और तमिलनाडु में सबसे तेजी से नए खिलाड़ी बढ़ रहे हैं।

कौशल बनाम जुआ

कई कंपनियां अपने गेम्स को कौशल आधारित खेल (Skill Games) बताकर प्रचार करती हैं। लेकिन जब इन खेलों में पैसों का दांव लगाया जाता है, तो यह सीधे-सीधे जुआ (Betting) की श्रेणी में आ जाता है।

उदाहरण के लिए, रमी (Rummy) को कंपनियां स्किल गेम बताती हैं, लेकिन इसमें पैसे लगाने पर यह जुआ बन जाता है। सरकार का मानना है कि इस तरह कंपनियां कानून की आड़ में लोगों को गुमराह कर रही हैं।

सरकार का रुख – नया विधेयक

सरकार लंबे समय से इस क्षेत्र को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन हर बार कंपनियां किसी न किसी कानूनी खामी का फायदा उठाकर बच निकलती हैं। अब केंद्र सरकार ने इस पर एक नया विधेयक (Bill) लाने का फैसला किया है, ताकि ऑनलाइन जुए और कौशल गेम्स को स्पष्ट रूप से अलग किया जा सके।

दुनिया का हर 5वां गेमर भारत से

भारत अब ऑनलाइन गेमिंग का वैश्विक केंद्र बन चुका है।

  • साल 2024 में भारत का ऑनलाइन गेमिंग बाजार 3.7 अरब डॉलर का था।
  • इसमें से 86% कारोबार पैसे वाले गेम्स से आता है।
  • भारत में 59.1 करोड़ गेमर्स हैं।
  • इनमें से लगभग 25 करोड़ लोग पैसे लगाकर खेलते हैं।

इसका मतलब है कि दुनिया का हर पांचवां गेमर भारत से है।

टैक्स और जीएसटी की जटिलता

सरकार पहले ही ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी और जीत पर 30% आयकर लगा चुकी है।

अब जीएसटी परिषद में इस पर नए सिरे से चर्चा हो रही है। प्रस्तावों में शामिल हैं:

  • जीएसटी दर घटाकर 18% करना
  • या फिर बढ़ाकर 40% करना

गेमिंग उद्योग का तर्क

गेमिंग कंपनियों और उद्योग से जुड़े संगठनों का कहना है कि सख्त नियम और टैक्स दरें इस सेक्टर को नुकसान पहुंचाएंगी। उनका दावा है कि:

  • स्किल गेमिंग उद्योग का कारोबार ₹2 लाख करोड़ से अधिक है।
  • यह हर साल ₹20,000 करोड़ से ज्यादा टैक्स सरकार को देता है।
  • इस सेक्टर से लाखों नौकरियां जुड़ी हुई हैं।

नुकसान का सामाजिक असर

विशेषज्ञों का कहना है कि ऑनलाइन पैसे वाले गेम्स सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं कर रहे, बल्कि इसके सामाजिक दुष्प्रभाव भी हैं:

  1. परिवारों में कर्ज और तनाव बढ़ रहा है।
  2. युवा वर्ग पढ़ाई और काम से ध्यान हटाकर गेमिंग में फंस रहा है।
  3. लत (Addiction) की वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है।

क्या होगा आगे?

सरकार का नया विधेयक इस बात पर फोकस करेगा कि जुए और कौशल आधारित गेमिंग में स्पष्ट अंतर किया जाए। साथ ही टैक्स व्यवस्था को भी तर्कसंगत बनाने की कोशिश होगी।

अगर सख्त नियम लागू किए गए तो यह यूजर्स और समाज दोनों के लिए राहत का कारण हो सकता है, लेकिन उद्योग जगत के लिए यह बड़ी चुनौती भी साबित होगा।